सुन ऐ जिंदगी !
सुन ऐ जिंदगी !
सुन ऐ जिंदगी
तुम चाहती थी ना
कि मैं डूब जाऊँ
यह लो आज मैं
समंदर की गहराई में हूँ।
तुम चाहती थी ना
कि मैं छीप जाऊँ
यह लो आज मैं
समंदर की भँवर में हूँ।
तुम चाहती थी ना
कि मैं बिखर जाऊँ
यह लो आज मैं
रेगिस्तान में बिखर गई हूँ।
तुम चाहती थी ना
कि मैं बिसर जाऊँ
यह लो आज दुनिया ने
मुझे बिसरा दिया है।
सुन ऐ जिंदगी !
अब तो तुम खुश हो ना ?