Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Neha Dhama

Abstract

4  

Neha Dhama

Abstract

बसंती चोला

बसंती चोला

1 min
251


बसंती चोला पहन मां भारती 

देखो मुस्कुरा रही है 

भांति भांति के पुष्प खिले हैं

देखो खिल खिला रही है 


दूर तलक जहां तक दृष्टि जाती है

 हरियाली ही हरियाली नजर आती है

 प्रस्फ़ुटित हो रहे धरा के गर्भ से 

नव अंकुर 

 खिल रही है आशाओं की बंद

कलियां शर्माकर 

 

उत्साह उमंग मन में भर जन मन

 बहुत हर्षाया

निराशा के अंधेरों से उजाले की

 ओर कदम बढ़ाया

 बैर द्वेष को भूल कदम से कदम 


मिला आगे बढ़े 

आलस को त्याग मेहनत का नया

इतिहास गढ़े

 फूलों पर रसपान करने को 

 भवरे गुंजायमान है

 

पेड़ों की डाली पर मधुर स्वर में

कोयल गाए गान है

 लद गई बोरो से अमवा की डाल

सरसों के फूलों से भरे खलियान

 सतरंगी आंचल हो ओढ़े धरती मां

का रूप खिल उठा


 लहराती फसलों को देख किसान का

 मुरझाया चेहरा चमक रहा

 रंगीन लिबास में चमकी मां भारती के 

 मुखड़े की लालिमा हैं 

 रंग बिरंगी फूलों का गजरा बना

बालों में पहना है 


सुनहरी फसलें मां के आभूषण

बन चमक रहे है 

आसमां में करलव करते पंछी मधुर

संगीत सुना रहे हैं


दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हवा मां 

को मतवाली बना रही है

बच्चे मां की बाहों में झूला डाल

मस्ती में झूल रहे हैं

आसमान में उड़ती सतरंगी पतंगे

मन को हर्षा रही है


चहुँ ओर छाई काली घटा रिमझिम

तन मन भीगा रही हैं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract