STORYMIRROR

Neha Dhama

Others

4  

Neha Dhama

Others

प्रीत की रीत

प्रीत की रीत

1 min
208

त्यौहार हैं ये भाई 

बहन की प्रीत का 

जन्मो से जन्मो तक 

चलने वाली रीत का 


रेशम के नाजुक धागों में 

बंधता हैं प्रेम और विश्वास 

ना कोई लोभ लालच ना कोई 

 महंगे तोहफों की आस 


जन्म से लेकर मरण तक 

 जो साथ रहें मेरे 

याद आये बचपन के दिन 

 संग बिताएं तेरे 


सुन भैया हर मुश्किल से 

 तू ही मुझे बचाएं 

एक पुकार पर मेरी सब 

 छोड़ दौड़ा चला आये 


राह निहारूँ तेरे आने की

बांधूँ प्यार तेरी कलाई पर 

रोली , चावल से तिलक करूँ

वारी जाऊँ अपने भाई पर


थाल सजा ,सज संवर बैठी हूं

 देहरी पर तेरे इंतजार में 

जो तुझे पसंद सब बनाया 

तुझसे बढ़कर कौन संसार में 


एक ही बगिया के हम फूल 

एक ही आँगन में पले बढ़े 

एक - दूजे से बंधी जीवन डोर 

 एक - दूजे का अक्ष लगे 


मेरे भैया तुझसे ही ये जीवन 

 तू ही मेरा अभिमान 

 कुछ भी कर गुजरने को तैयार 

 देखने को मेरी एक मुस्कान ।।



Rate this content
Log in