STORYMIRROR

Neha Dhama

Others

4  

Neha Dhama

Others

ऐसा मैं क्या आसमान चाहती हूँ

ऐसा मैं क्या आसमान चाहती हूँ

1 min
329

छाले पड़ गये पाँव में

थोड़ा आराम चाहती हूँ।

खाती फिरू ठोकरें अँधेरो में

थोड़ा प्रकाश चाहती हूँ।

झुलसा दिया दुपहरी की तेज धूप ने

साँझ की घनी छाँव चाहती हूँ ।

मन भटकता फिरे बेचैन

थोड़ा सुकून चाहती हूँ।

थक गई चल चल कर

ठहराव चाहती हूँ।

रूढ़ियों में जकड़े सदियां बीती

अब बदलाव चाहती हूँ।

कंठ सूख रहा मारे प्यास के

थोड़ा पानी चाहती हूँ।

झोला उठा फिरे यहाँ- वहाँ

एक घरौंदा चाहती हूँ।

दूर बहुत निकल आये अपनों से

लौटने को आवाज चाहती हूँ।

घायल जिस्म से रूह तक

थोड़ा मरहम चाहती हूँ ।

बंजर पड़ी दिल की जमीं पर

प्यार की बरसात चाहती हूँ।

हार गई लड़ते जहां भर से

अब सुलह चाहती हूँ।

मारा जमाने ने ताने दे देकर

अब जवाब देना चाहती हूँ।

पी लिया घूँट तिरस्कार का

थोड़ा सम्मान चाहती हूँ।

कर्म किया बिन रुकें बिन थके

अब अवकाश चाहती हूँ

औरों के लिए जीकर देखा बहुत

खुद के लिये जीना चाहती हूँ।

बेड़ियों में बंधे समय बीता बहुत

उड़ान भरना चाहती हूँ ।

रैना जाग जाग कटी बहुत

अब निद्रा चाहती हूँ।

बही नैनों से अश्रु धारा

थोड़ी हँसी चाहती हूँ।

ताउम्र सबकों खुशी दी

अपनी ख़ुशी चाहती हूँ।

इत्ती सी ख्वाहिश है मेरी

ऐसा मै क्या आसमां चाहती हूँ।।

  



Rate this content
Log in