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Neha Dhama

Inspirational

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Neha Dhama

Inspirational

मीराबाई चानू

मीराबाई चानू

2 mins
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मणिपुर के इम्फाल के नोंगपोक काकचिंग गांव में

एक पति - पत्नी रहतें थे जिनके

पांच छोटे -छोटे बच्चे थे ,

पति का नाम ,साइखोम कृति मैटाई

पत्नि ,साइखोम ओंगबी तोम्बी लीमा ,

८ अगस्त १९९४ को एक शुभ घड़ी आई

इनके घर में एक नन्ही सी परी जन्मी

चारों तरफ खुशियां छाई

नामकरण हुआ बच्ची का

साइखोम मीराबाई चानू

नाम रखा

लाड़ प्यार से पली - बढ़ी धीरे - धीरे बड़ी हुई

परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी

भाई सांतोम्बा मैटाई के साथ पहाड़ो पर लकड़ी बीनने जाती थी

गांव के एक स्कूल में पढ़ने जाती थी

तीरंदाजी का शौक रखती थी

पर स्कूली शिक्षा के बाद भोरोत्तोलन खिलाड़ी कुंजारानी देवी से प्रभावित हो उन्हें अपना प्रशिक्षक बनाया

हुई बारह बरस की अंडर१५ का भोरोत्तोलन ख़िताब जीत लिया

उम्र १७ बरस में जूनियर चैम्पियन बन गई

आर्थिक तंगी का भी सामना किया

अभावो में भी हिम्मत नहीं हारी

अपनी कोशिश रखी जारी

खेल के साथ स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की

वर्ष २०१४ में मीरा ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलो में ४८ किलो वर्ग में चांदी जीती

वर्ष २०१६ में मीरा ने रियो ओलंपिक में जगह बनाई

साउथ एशियन खेलों में गुवाहाटी में सोना जीता

वर्ष २०१७ में विश्व भोरोत्तोलन चेम्पियनशिप में ४८ किलो वर्ग में सोना जीतकर देश का मान बढ़ाया

वर्ष २०१९ मीरा ने थाईलैंड के चियांग -मे में ईजीएटी कप में ४८ किलो वर्ग में स्वर्णिम सफलता पाई

वर्ष २०१८ भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न प्रदान किया

वर्ष २०२१ जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक में देश के लिए ४९ किलो वर्ग में चाँदी जीतकर इतिहास रच दिया ,

वर्तमान में चानू , विजय शर्मा के प्रशिक्षण में अभ्यास करती हैं

समय - समय पर मातृशक्ति ने भारतभूमि को अपनी वीरता और अदम्य साहस से गौरवभूषित किया हैं ।।



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