पेड़
पेड़
मैं तो हूँ
नन्हा - मुन्हा सा एक पेड़।
चाहता हूँ
थोड़ा पानी थोड़ी देखरेख
बदलें में
फल दूँगा छाया दूँगा
प्राणवायु के
बदले तुमसे कुछ ना लूँगा
सेवा की है।
मैने सदियों तुम्हारी निस्वार्थ
अब है बारी
ये मानव कुछ तो कर उपकार
नही मांगता मै
अपने लिये कुछ भी तुझसे
जीवन बचाने की
आस में आने वाली पीढी हमसे ।।