नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है। नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है।
नमन है वंदन है रोज़ चरणों में माँ के अर्पित प्रणाम मेरा। नमन है वंदन है रोज़ चरणों में माँ के अर्पित प्रणाम मेरा।
हजारों बार जन्मूँ मैं हजारों बार मर जाऊँ-- करूँ इस देश की सेवा, कि ऐसा हो जतन मेरा।। हजारों बार जन्मूँ मैं हजारों बार मर जाऊँ-- करूँ इस देश की सेवा, कि ऐसा हो जतन म...
उसकी शक्ति समाहित होती जन जन के हर हित में कार्य निरंतर करे यदि वह सदा उन हाथों के लोक हित ... उसकी शक्ति समाहित होती जन जन के हर हित में कार्य निरंतर करे यदि वह सदा ...
दान धर्म तप त्याग शिवम् जीवन का आधार। दान धर्म तप त्याग शिवम् जीवन का आधार।
क्योंकि बूढ़ा बैल कहीं बिकता नहीं इसमें भला किसान का क्या दोष ? क्योंकि बूढ़ा बैल कहीं बिकता नहीं इसमें भला किसान का क्या दोष ?