प्रजातंत्र
प्रजातंत्र
मत करना अपने मत को
यूँ ही तुम कभी व्यर्थ
चुन सको तो चुन लो
जो हो सच में समर्थ
प्रजातंत्र प्रणाली में हर
एक व्यक्ति है होता विशेष
अपने अधिकारों का तुम
करो प्रयोग हरदम विशेष
एक एक उंगली का है यहां
एक एक हथेली का महत्व
प्रतिद्वंदी जो बनता है उसको
समझना होगा ये सारे तत्व
उसकी शक्ति समाहित होती
जन जन के हर हित में
कार्य निरंतर करे यदि वह सदा
उन हाथों के लोक हित में
ऐसे प्रत्याशी की फिर होनी
जीत सदा निश्चित जानो
तुम में भी ये गुण हो तो तुम भी
प्रत्याशी बनने की ठानो।
चुने जाओ तो काम अप्रतिम
सेवा की करते जाना
लोकतंत्र के पावन कर्तव्य
हृदय से सदा निभाते जाना।
