STORYMIRROR

Shipra Verma

Others

3.6  

Shipra Verma

Others

इक छोटी सी कश्ती

इक छोटी सी कश्ती

1 min
170


इक छोटी सी कश्ती में 

तुम और मैं, बस दोनों ही

भोर के सूरज की रश्मियाँ

तैरती हुई स्वर लहरियाँ


चलो चलें मझधार चलें

आगे- पीछे कुछ न देखें

सुने हम केवल ब्रह्म नाद

मिटायें सारे ही हर्ष विषाद


प्राणों में भरें केवल आनंद

जीवन है क्षणिक, साँसें चंद

अनुभव, कर्म, ज्ञान व प्रेम

यही बटोरते जो हैं अक्लमंद!! 



Rate this content
Log in