Shipra Verma

Inspirational

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Shipra Verma

Inspirational

ओ श्वेत वर्ण हँसिनी

ओ श्वेत वर्ण हँसिनी

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शुद्धता, दिव्यता की प्रतिरूप

तू ग्रीवा ऊँची कर कि तूने 

हंस कर सही छाँव और धूप


तेरे श्वेत आँचल पर तनिक भी

जब कालिमा नहीं समाई

तो कौवे, चील और बाज़ सभी

को तेज जलन हो आई


तू शांतिप्रिय, इस झील किनारे

रहता है ध्यान लगाए

बस मोती जग से बीनना और

क्षीर नीर अलगाये


यही विशिष्टता प्राप्य है तुझको

तू मेरी बिटिया हँसिनी

रहना जबतक इस जगत में

गुण गाता रहे सब ओ प्रिय नंदिनी! 



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