कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में दम तोड़ता नज़र आऊँ मैंं. कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में दम तोड़ता नज़र आऊँ मैंं.
और किसी में कहाँ भर पाता, इतनी ममता की क्षमता। और किसी में कहाँ भर पाता, इतनी ममता की क्षमता।
कभी शांत सरोवर सी बहती.. कभी सागर जैसी कलकल भी। कभी शांत सरोवर सी बहती.. कभी सागर जैसी कलकल भी।
आस्था की है तू लहर है अमृत तू इस धरा पर। आस्था की है तू लहर है अमृत तू इस धरा पर।
तू होगा इस पार मगर, नदिया उस पार नहीं होगा, तू चापू धर भी सकता है, पानी खे भी सकता है, पर उस पार तुझ... तू होगा इस पार मगर, नदिया उस पार नहीं होगा, तू चापू धर भी सकता है, पानी खे भी सक...
लूटा है फिर सबने मिलकर ना समझ ही पाए, बलिदान को मेरे। लूटा है फिर सबने मिलकर ना समझ ही पाए, बलिदान को मेरे।