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Sanket Singh

Romance

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Sanket Singh

Romance

कुछ यूँ करो

कुछ यूँ करो

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कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में सोता नज़र आऊँ मैंं,

कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में खोता नज़र आऊँ मैंं.

कुछ यूँ करो, कि सिमट सा जाये इतना ये सारा आलम, सीधा तेरी चौखट पर पड़े, जो  निकले मेरे दर से मेरे कदम.

कुछ यूँ करो, कि सीधा आकर लिपट सी जाये मुझसे, चाहे मैंं हूँ जहाँ. तेरे बदन को छू कर - सहला कर निकले, महकती-दहकती जो हवा.

कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में सपने सजोता नज़र आऊँ मैंं,

कुछ यूँ करो, कि तेरी आँचल के साये में दम तोड़ता नज़र आऊँ मैंं.


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