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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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वो कहते है ज़रा जलवा ए उनकी एक नज़र देखना,

ग़र देखना है तो हम पर उनका असर देखना.

बड़े नाज़ोंं से लिखा है ख़त आपको,

कुछ तो पढ़ कर हमारी ख़बर रखना.

देखो ज़ालिम मेरी सख़्त जाँ की इम्तेहाँ लेता है,

यूँ ना दम निकलेगा,

एक अरसा मेरे सीने में ख़ंजर रखना.

दूर रहो मर्ज़ ए इश्क़ से,

समझाते हैं दुनिया के ठेकेदार,

मेरी गुज़ारिश हैं उनसे,

कुछ तो मेरी उमर देखना


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