|| Poetess || Writer || Motivational Speaker|| Love to write and describe the feelings of life. ♥️ My book अल्फ़ाज़े बयां [काव्य कोष] has been published in November 2018
इकलौते बेटे को घर से बाहर जाते खामोशी से देखते हुए सोचने लगे, आख़िर....कहाँ चूक हुई ? इकलौते बेटे को घर से बाहर जाते खामोशी से देखते हुए सोचने लगे, आख़िर....कहाँ चूक ...
इतना भी नहीं जानूंगी क्या ? और पूरे हाॅल में तालियां गूंज उठीं। इतना भी नहीं जानूंगी क्या ? और पूरे हाॅल में तालियां गूंज उठीं।
वह अचंभित सी धीरे-धीरे आगे बढ़ी तो ऋषभ ने उसकी तरफ गुलाब बढ़ा दिया। वह अचंभित सी धीरे-धीरे आगे बढ़ी तो ऋषभ ने उसकी तरफ गुलाब बढ़ा दिया।
सांवली सलोनी सी भोली भी गुड़िया जैसी लग रही थी। दोनों को आमने - सामने बिठाकर दोनों के परिवार बातों म... सांवली सलोनी सी भोली भी गुड़िया जैसी लग रही थी। दोनों को आमने - सामने बिठाकर दोन...