टॉफी
टॉफी


बरेली की गलियों में बड़ा सा मकान।आज ख़ूब चहल-पहल थी वहां क्योंकि भोली को देखने लड़के वाले जो आ रहे थे।तभी कुछ बच्चे दौड़े-दौड़े आये कि लड़के वाले आ गए। एक ख़ूबसूरत नौजवान,अच्छा डील-डौल वाला लड़का परिवार के साथ ज्यों ही घर मे दाख़िल हुआ। सबकी निगाहें ठहर गईं। सांवली सलोनी सी भोली भी गुड़िया जैसी लग रही थी। दोनों को आमने - सामने बिठाकर दोनों के परिवार बातों में व्यस्त हो गए। थोड़ी देर बाद जब दोनों से पूछा गया वो कुछ न बोले, बस शून्य में निहारते रहे।
लड़के के परिवार वाले काफी देर तक भोली से कुछ-कुछ बातें करते रहे और भोली भी सहजता से उनके हर कौतुक का जवाब कभी मुस्कुराकर तो कभी हौले से अपनी बात कहती रही। इसी सब में काफी समय बीत गया तभी अचानक लड़के की मौसी ने अपने पर्स से दो टॉफ़ी निकाली और लड़के-लड़की की तरफ बढ़ाते हुए कहा अगर तुम दोनों को जीवन पर्यंत एक दूसरे का साथ मंजूर है तो ये खा लो नहीं तो मुझे वापस कर दो। यह सुनते ही दोनों झेंप उठे और दोनों ने चुपचाप वो टॉफ़ी खा ली और वहाँ मौजूद सभी लोग खिलखिला उठे और इस तरह एक प्यारे से रिश्ते की शुरुआत हुई।