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ज्योति किरण

Abstract

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ज्योति किरण

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निश्छल भाव

निश्छल भाव

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जीवन की रेखा निश्छल सी..

बदले स्वरूप यह पल-पल ही।


कभी माँ के रूप में ढल जाती,

कभी बालक जैसी चंचल भी।


हाथों में सजे और मस्तक पर,

शोभा बढ़ाए हर आँचल की।


कभी शांत सरोवर सी बहती..

कभी सागर जैसी कलकल भी।


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