इख़्तियार
इख़्तियार
दिल जो चाहता है..
हर बार मुमक़िन नहीं।
धड़कनों पर ख़्वाबों का,
इख़्तियार मुमक़िन नहीं।।
बंद पलकों में इंतख़ाब,
हास़िल है जाना।
खुली आँखों से मगर..
दीदार मुमक़िन नहीं है।
दिल जो चाहता है..
हर बार मुमक़िन नहीं।
धड़कनों पर ख़्वाबों का,
इख़्तियार मुमक़िन नहीं।।
बंद पलकों में इंतख़ाब,
हास़िल है जाना।
खुली आँखों से मगर..
दीदार मुमक़िन नहीं है।