धड़कनों की धुन
धड़कनों की धुन
बुलाते हो मुझे तुम जिस तरह,कैसे ना आऊँ मैं।
मिले जो साथ तेरा, ज़िन्दगी भर मुस्कुराऊँ मैं।।
तेरी उल्फ़त में भीगे चँद लम्हे खूब भाते हैं
दिल करता है यादों में तुम्हारी, डूब जाऊँ मैं।।
कि अब तो धड़कनें भी नाम से तेरे धड़कती है
चले आओ तुम्हें भी धड़कनों की धुन सुनाऊँ मैं।।
ख्यालों में तेरी मौजूदगी से दिल नहीं भरता
पलकें जब भी उट्ठें, रूबरू बस तुमको पाऊँ मैं।।
मुझे हर जन्म में बस साथ तेरा ही मयस्सर हो
तेरे आगोश में लिपटे हुए, दुनिया से जाऊँ मैं।।