Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

ज्योति किरण

Others

4.5  

ज्योति किरण

Others

लम्हें जिंदगी के

लम्हें जिंदगी के

1 min
258


वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं। 

जिन्हें हम सोच कर अक्सर अभी भी मुस्कुराते हैं।।

वो खिलती क्यारियों में मुस्कराते फ़ूल और कलियां।

घने वृक्षों में सिमटी-सी हुई गाँव की वो गलियां।।

बड़ी चौपाल पर बैठे बुजुर्गों के हँसी-ठठ्ठे_ 

वो ढलती साँझ में चिडियों के कलरव याद आते हैं।।


यहाँ शहरों के शोरोगुल में पंछी अब नहीं गाते।

ना भंवरे अब चमन में फूल और कलियों पे मंडराते।।

बड़ी मुद्दत से पत्तों पर गिरी शबनम नहीं देखी

वो रिमझिम की फुहारें और वो सावन याद आते हैं।।


वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं.



Rate this content
Log in