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ज्योति किरण

Others

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ज्योति किरण

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लम्हें जिंदगी के

लम्हें जिंदगी के

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वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं। 

जिन्हें हम सोच कर अक्सर अभी भी मुस्कुराते हैं।।

वो खिलती क्यारियों में मुस्कराते फ़ूल और कलियां।

घने वृक्षों में सिमटी-सी हुई गाँव की वो गलियां।।

बड़ी चौपाल पर बैठे बुजुर्गों के हँसी-ठठ्ठे_ 

वो ढलती साँझ में चिडियों के कलरव याद आते हैं।।


यहाँ शहरों के शोरोगुल में पंछी अब नहीं गाते।

ना भंवरे अब चमन में फूल और कलियों पे मंडराते।।

बड़ी मुद्दत से पत्तों पर गिरी शबनम नहीं देखी

वो रिमझिम की फुहारें और वो सावन याद आते हैं।।


वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं.



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