|| Poetess || Writer || Motivational Speaker|| Love to write and describe the feelings of life. ♥️ My book अल्फ़ाज़े बयां [काव्य कोष] has been published in November 2018
वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं। वो लम्हें ज़िन्दगी के आज भी ख्वाबों में आते हैं।
माँ बच्चों के सुख के लिए जीती है। पिता को बच्चों के भविष्य से प्रीति है।। माँ बच्चों के सुख के लिए जीती है। पिता को बच्चों के भविष्य से प्रीति है।।
कोख में मारोगे बेटी, बहु फिर कहाँ से लाओगे कोख में मारोगे बेटी, बहु फिर कहाँ से लाओगे
पिता हर हाल में जीता है, बस परिवार की ख़ातिर। पिता हर हाल में जीता है, बस परिवार की ख़ातिर।
यही सोचकर ख़ताएं, बार-बार करते हैं। यही सोचकर ख़ताएं, बार-बार करते हैं।
दर्द से रिश़्ता पुराना हो गया। मुस्कुराये भी ज़माना हो गया।। दर्द से रिश़्ता पुराना हो गया। मुस्कुराये भी ज़माना हो गया।।
यह दिल जो चाहता है.. हर बार मुमक़िन नहीं। यह दिल जो चाहता है.. हर बार मुमक़िन नहीं।
मिटा सकता अगर मैं कुछ 'मुहब्बत' का सिला होता ! मिटा सकता अगर मैं कुछ 'मुहब्बत' का सिला होता !
ज़िन्दगी एक दरिया है, जिसे हर हाल बहना है।। ज़िन्दगी एक दरिया है, जिसे हर हाल बहना है।।
होंठों पर, लिए फ़रियाद बैठे हैं। होंठों पर, लिए फ़रियाद बैठे हैं।