तुम ले गये..
तुम ले गये..
तुम जाते जाते ले गये..
मुझसे मेरी साँझ की तसल्ली..
तुम ले गये मेरी रातों की आँचल से
निकाल कर नींद की कसीदाकारी में से,,
ख़्वाबों के सब रंगीन मोती...
तुम ले गये सुबह की धूप संग हवा
में घुल के आती तुम्हारी खुशबू!!
तुम संगदिल ले गये...
खरोंच के यादों की किताब से..
मेरे तुम्हारे लिखें अरमानों के नगमें!!
मगर तुम छोड़ गये हमारे प्रेम के हरे दरवाज़े
पर इंतजार का खाली लिफाफा...
जिसे प्रेम की दहलीज पर लिए,,
मैं लिखती तुम्हारी कल्पना की कविताएं!!