मनौती के चुंबन
मनौती के चुंबन
सोलह सोमवार से ले कर,
गुरु बृहस्पति के व्रत करते हुए
वो भोली प्रियसी नहीं भूलती
शुक्रवार को माँ लक्ष्मी को मनाना
ह्रदय में प्रिय की कुशलता और
आँखों में प्रतीक्षा की पीर लिए
पूजती रहती है उस पाषाण ईश्वर को
और जिन चुम्बनों को वो अपने प्रेम पत्र
पर अंकित कर भेजती थीं, अब उन्हें
मनौतियों की मौली में पिरो पिरो के ,
पीपल देवता की टहनियों में बाँध आती है
गंगा, कावेरी की गोद में रोज ही विसर्जित किए जाते हैं
सिक्कों और बताशों के संग मनौती के चुंबन !