ओ साथी मन के....!!
ओ साथी मन के....!!
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
जो तुने दिये पैगाम
मैं कभी भूल ना सके...
हर यादे है तेरी ऐसे
जो खुशबू फुलों कीं मेहके...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
जो रोशन करता है
सारा जहां खुद जल के...
है पाणी अपना जीवन,वैसे
तुम टूकडा हो एक परिवार के...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
पुरे करेंगे यह सपनेसुहाने
एक साथ चल के...
बिताने पडेंगे तुम्हें
मस्तीभरे दिन हर पल के...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
कभी गुमशूदा हो जाती हूँ
तुम्हारी मिठीसी आवाज सुन के...
तुम ही तो हो मेरे रास्तों का सहारा
जो मैने लिया चुन के...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
हृदय मे जो है भाव तुम्हारे
लिखती हूँ मै उसे एक शायर बन के...
नही जानते हो तुम अभी
कितने पास हो मेरे दिल के...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
जो खूब रिश्ता है हमारा
चले आना,उसे ऐसेही निभा के...
चाहे आये कोई इनमे दुरीयां
साथ देना तुम समझ-सुलझ के...
ओ साथी मन के
तुम करीब हो मेरे दिल के...
साथ चल ये जिंदगी
जिंदगी के गीत गा के...
एक बात मेरे मन से...
एक परिंदा हो तुम मेरे मन के...
ओ साथी मन के...!!

