अरमान
अरमान
छोटी सी चिंगारी को राख में दबाकर
कल के लिए रखे हैं अरमान छिपाकर
चिंगारी रही बाकी को चूल्हा भी चलेगा
जो आज ना मिला वो कल तो मिलेगा
झांकेगा चांद खिड़की से पर्दो को हटाकर
कल के लिए रखे हैं अरमान छुपाकर
पूनम की चांदनी हो या अमावस की राते
शाम लाती है संघर्ष भोर लाती है सौगाते
घने अंधेरों से रोशनी बचाकर
कल के लिए रखे हैं अरमान छुपा कर
दिए की लौ तारों की झिलमिलाहट
उनींदीं पलकों परसपनों की आहट
छोटी सी रोशनी से चिड़ियों की चहचहाहट
होठों को छू गई नन्हीं सी मुस्कुराहट
सपनों को अपनी आंखों में ही सुलाकर
कल के लिए रखे हैं अरमान छुपा कर।
