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Babita Shukla

Inspirational Others

4.6  

Babita Shukla

Inspirational Others

काल चक्र

काल चक्र

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199


सादा जीवन उच्च विचार,

संतों ने कभी सिखाया था ,

मध्य मांस का सेवन वर्जित,

यह सद पाठ पढ़ाया था,

मुख पर दया भूखे को दान,

बार-बार बतलाया था,

स्वच्छ तन हो स्वच्छ मन हो,

जीने का ढंग बताया था।।1।।


मानव कुछ कुछ भूल गया,

धरा लगी कराहने,

नहीं सहा जाता है जहर,

आओ प्रभु मुझे थामने ।।2।।


हर प्राणी की माता हूं मैं,

हर प्राणी मुझे प्यारा है,

पर तेरी अनुपम कृति पर प्रभु,

विकट राक्षस की छाया हैं।।3।।


सबसे सुंदर तेरी रचना,

सबसे सुंदर मेरी रचना,

टूट टूट कर बिखर रही है,

मुश्किल लगता है बचना,

माता का हृदय पुकार रहा,

त्राहिमाम त्राहिमाम,

प्रभु अब अवतार लो ,

अपने बचन की लाज रखना।।4।।


जब जब होगी धर्म की हानि,

धरती पर मैं आऊंगा,

मानव मेरी अनुपम कृति है,

यहां मिट सकती नहीं,

माता धरा गोद तेरी,

एक जहर से उजड़ सकती नहीं ।।5।।


हे धरा तुम भी ना खोना,

आ गया मैं ले अब्तार,

रूप बदलकर रंग बदल कर,

खड़ा हूं मैं अब तेरे द्वार,

दीप जले घंटा बजे,

हो गया शंखनाद,

वर्दी पहनकर स्वयं खड़े हैं शेषनाग,

श्वेत वस्त्र में रघुनंदन है,

रक्षा बल में तैनात,

नील वस्त्र में सेवा देने,

देवी देवता आए आज।।6।।


धरती जननी आज संतों का

सद आरंभ हो गया,

कालचक्र तो देख माता,

सतयुग प्रारंभ हो गया।

सतयुग प्रारंभ हो गया ।।7।।    


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