बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई। बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई।
जो तू करता शुभ ही करता, क्या मांगू तुझसे हे पालनहारा। जो तू करता शुभ ही करता, क्या मांगू तुझसे हे पालनहारा।
पर तेरी अनुपम कृति पर प्रभु, विकट राक्षस की छाया है पर तेरी अनुपम कृति पर प्रभु, विकट राक्षस की छाया है
हर धाम, तीर्थ माँ के चरणों में मानता हूं मां तुझको में ख़ुदा माना करता हूं। हर धाम, तीर्थ माँ के चरणों में मानता हूं मां तुझको में ख़ुदा माना करता हूं।
तो क्यूँ न बन जाएं हम आज ही से एक दूजे के प्रियतम प्यारे ? तो क्यूँ न बन जाएं हम आज ही से एक दूजे के प्रियतम प्यारे ?
माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति