आज चली है तूफ़ानों में मेरी नाव लहरों संग उठती गिरती मेरी नाव। आज चली है तूफ़ानों में मेरी नाव लहरों संग उठती गिरती मेरी नाव।
पाकर सहसा भोज निमन्त्रण, मन प्रफुल्लित हो आया। पाकर सहसा भोज निमन्त्रण, मन प्रफुल्लित हो आया।
क्यों थकता है तू क्यों रुकता है तू किसे ढूंढता है और किस पर मरता है तू ये सफ़र अकेले तय करना है तुझे.... क्यों थकता है तू क्यों रुकता है तू किसे ढूंढता है और किस पर मरता है तू ये सफ़र अक...
मत करो दूषित इस वायु को, जो करती है हमको शीतल मानवता है एक वरदान । मत करो दूषित इस वायु को, जो करती है हमको शीतल मानवता है एक वरदान ।
हरी-भरी यह वसुधा सारी त्राहि-त्राहि रुदन करती है। हरी-भरी यह वसुधा सारी त्राहि-त्राहि रुदन करती है।
क्या गिफ्ट चाहिए क्या गिफ्ट चाहिए