मानवता ही है वरदान
मानवता ही है वरदान
अरे विश्व के राजदुलारों,
भारत वर्ष के भावी रखवालों
छोड़ो द्वेष त्यागो अभिमान,
सद्कर्म कर बनो महान
मानवता है एक वरदान ।।
सागर है शीतलता का सूचक,
सागर है अमृत सम प्राण
सागर को मत करो विषैला,
कौन करेगा मानव का त्राण
मानवता है एक वरदान ।।
वायु कितनी होती निर्मल,
बहती रहती जो निरंतर
मत करो दूषित इस वायु को,
जो करती है हमको शीतल
मानवता है एक वरदान ।।
जग में कई समस्याएँ ऐसी,
कलह-अशांति से जो पनपी
युद्ध नहीं उनका निदान,
सुलह- शांति से जो सुलझी
मानवता है एक वरदान ।।
क्या रखा है इस राग -द्वेष में,
मानव हो तो रहो होश में
सुरभित- पुष्पित इस विश्व को,
अपने कुकृत्यों से मत करो वीरान
मानवता है एक वरदान ।।
मानवता का नम्र निवेदन,
लाभ-हानि का न करो विवेचन
शांति का फैलाओ ज्ञान,
जिससे हो मानव का कल्याण
मानवता है एक वरदान ।।
