पहला प्यार
पहला प्यार
हॉं हॉं डर मत, मार छलॉंग,
जरा जोर से रख अपनी मॉंग,
ठुकराये जाने से डर मत बिटिया,
कोशिश कर हार मत बिटिया,
कानों में जब शब्द यह पड़ते हैं,
जीने के जज्बात उमड़ने लगते हैं ,
मॉं तुमसे जाना साहस के मायने,
हर क्षेत्र में अव्वल आने के पैमाने,
जैसा तुमने मुझे संवारा है,
अपने जैसे आइने में उतारा है,
प्रतिबिम्ब तुम्हारा जान पड़ती हूं,
मुसीबत में तुम्हारी सलाह याद रखती हूं,
तुम कहती थीं ना जितना डरोगी,
उतना ही भविष्य में डराई जाओगी,
निर्भयता का पाठ जो तुमने पढ़ाया था,
मेरे आस्तित्व का हिस्सा बनाया था,
अब सह नहीं पाती गलत कुछ भी मैं,
एक हद तक निभा जाती हूं रिश्ते मैं ,
हर वार का प्रतिकार होता है,
चुप रहना समस्या का छल होता है,
तुमने ही ज्ञान प्राप्ति के मायने बताये,
तुमने ही चॉंद की तरह रोटियों के तह लगवाये,
गूंधे हुये आटे की बना कर चिडिया,
अपनी चिडिया को पंख है लगवाये,
आत्मनिर्भरता का तुमसे जो सीखा पाठ है,
तुम्हारी दी हुई शिक्षा मुझे सब याद है,
मेरे हॉकी खेलने पर जब उठी थीं आपत्तियॉं,
घुंघरू पहन नाचने पर जब चढ़ी थीं त्यौरियॉं,
तुम ही सामने खड़ी हो सबके मुंह बंद करवाये,
जिसने भी आपत्ति उठाई वो पहले मुझे आजमाये,
अपनी रक्षा स्वयं करो कह आत्मरक्षा के गुण सिखाये,
आज वही इस अजनबी शहर में मेरा साथ निभाये,
अकेली हो कर भी मैं अकेली कब रहती हूं,
हर पल तेरे सा़थ होने का एहसास करती हूं,
वो ममता भरे हा़थों से लगाई हुई हल्की सी चपत,
वो ़धूप में बैठ कर तेलों की सर में होती हुई खपत,
प्यार से तेरी गोदी में सर रखे बरसों हो गये,
मॉं गर्म रोटी खाये भी अब तो बरसों हो गये ,
अब जब बनाती हूं रोटियॉं तो तेरा चेहरा दिखता है,
कहॉं से लाऊं वो प्यार जो अब दूर रहता है,
दिखा नहीं पाती जज्बात अपने अक्सर चुप रहती हूं,
पर जैसा तुमने मुझे बनाया वैसी ही दिखती हूं ,
क़भी कहा नहीं पर तुम ही जीवन आधार हो,
मॉं तुम ही मेरे जीवन का अनमोल पहला प्यार हो ..!!