फागुन आयो री
फागुन आयो री
सा रा रा रा ,
आ रा रा रा ,
धूम मचाती रंग उड़ाती
आई फागुन मतवाली,
पापड़ गुजिया नमकपारे की खुशबू,
देखो देखो हर घर की रसोई से आई,
भूल कर सारे गिले शिकवे आओ गले लग जायें,
तोर कर सारे बंधन चलो संग संग झूमे गायें,
जली होलिका लेकर बुराई अपने संग,
अच्छाई का प्रह्लाद बच गया देख सब रह गये दंग,
आम के पेड़ों पर कैसी बौरें हैं बौराईं,
गाल गुलाबी भीगी सारी घुट रही ठंडाई,
गली गली टेसू फूले रंगों की बौछार,
इन रंगों में सबसे बढ़कर रंग बना है प्यार,
ढोल नगाड़े बजते फागुन गाओ री..!
देखो री देखो सखी फागुन आयो री ..!!
सा रा रा रा
आ रा रा रा
पैरों में पहने पाजेब फागुन मतवाली
छन छन छनकती जाये चूडी रंगों वाली,
उड़े अबीर और उड़े गुलाल,
ऐसा जैसे बादल रंग दिये लाल,
प्रीत प्रेम बरसे बन के टेसू,
नशीला कर रहे समां खुले हुये केसू,
मन मतवाला प्रेम में बन बन जाये जोगी,
कोरी चुनरिया प्रेम रंग में रंगी हुई होगी,
भर भर पिचकारी अपने ही रंग में रंग दे साजन,
चढ़े ना दूजा रंग कोई बन गई रे मैं तेरी जोगन,
आस भर नयन पथ मैं ताकूं ले लूं सारी बलायें,
तुम जो संग हो तो हर दिन होली के रंग में रंगी फिजायें,
ढोल मजीर लिये हाथ में फागुन गाओ री ..!
अपने ही रंग में रंगने फागुन आयो री ..!!

