प्यार की नोक - झोंक
प्यार की नोक - झोंक
लड़का -
मैंने कभी नहीं मांगा था
हाथ तुम्हारा साथ तुम्हारा
मैंने कभी नहीं मांगा था
प्रीत तुम्हारी ख्वाब तुम्हारा
तुम्ही पहल कर चली आयी थी
साथ निभाने , ख्वाब बनाने
मैं,तुम तुम , मैं को हम करने
तुम्ही पहल कर चली आयी थी
मैंने कभी नहीं मांगा था..........
लड़की -
तुमने कभी नहीं मांगा था
हाथ ये मेरा , साथ ये मेरा
क्यूं ये झूठ , फरेब गढ़ रहे हो
सारा दोष मुझीपे मढ़ रहे हो
अरे बात क्या हो गई
जिस पर इतने बिफर रहे हो
जिस विश्वास से प्रेम था जन्मा
नीचे क्यूं उससे उतर रहे हो
लड़का -
अच्छा
मैं तुमसे अब बिफर रहा हूं
प्रेम की सीढ़ी उतर रहा हूं
ये कहते तुम्हे लाज न आयी
सच है कि प्रेम के बदले
मिलती है रुसवाई
तुम कैसे ये भूल गई , कि
तुमको
मैंने श्वास है माना
अपना सच्चा साथी जाना
तुममें मुझको राम है दिखते
जो मुझको मर्यादित करते
तुम्ही तो मेरी कृष्ण कन्हैया
जिससे मैंने प्रेम है सीखा
तुमने आकर एहसास जगाया
तुमने ही विश्वास दिलाया
तुमने ही मुझ अक्खड़ को
सीधा सा इंसान बनाया।
और आज तुम्ही ..............
लड़की -
क्षमा करो यदि कड़वी बाते
मेरे अधर ने उच्चारित की है
अब मैं ये जान गई हूं
गलती अपनी मान गई हूं
रोष से अब ना मैं हारूंगी
क्रोध कपार ना धारूंगी।।
पर
क्यूं आंखे अब नीची है जी
लव क्यूं तुम्हारे कांप रहे है
अश्रु धार नयन से बहते
शब्द कंठ को त्याग रहे है
लड़का -
छोड़ो इन सब मसलो को
और कहो क्या आज खास है
कहासुनी - झगड़े तो हो गए
पर प्रियतम मेरा मेरे पास है।