माधव तुम्हें ही आना होगा
माधव तुम्हें ही आना होगा
यदि हाथ एक भी दुःशासन के
अब पांचाली का आँचल फाड़ेगें,
तो कृष्ण ना ही तुम ईश्वर हो
ना ही अखिल विश्व के हितकामी,
तुम भी इन ढुलमुल सरकारों जैसे
छल, प्रपंच, असत्य धैर्य के हो स्वामी।
धर्म बचाना चाहो अपना
तो नरसिंह का अवतार धरो,
नराधमों की छाती चीरो
चामुंडा सा वार करो।
उठा सुदर्शन एक-एक के
जीवन को शमशान करो,
बनकर शिव शम्भू तांडव कर दो
और महाकाल का रूप धरो।
छोड़ धरा पापी भागेंगे सब
बस परशुराम का क्रोध धरो,
मृत्यु की गुहार करेंगे
खप्परवाली बनकर देखो।
राम नहीं है प्रासंगिक अब
लोगों में तनिक नहीं मानवता बाकी,
दुर्गा को खेल-खिलौने समझे
है समाज की कुरीति यही।
यदि दुर्गा की लाज बचानी है
हर आँगन किलकारी पानी है,
तो माधव तुम्हें ही आना होगा,
आतातायी इस समाज को
कुश्ती में स्वयं हराना होगा
माधव तुम्हें ही आना होगा।