मुश्किल ज़रुर है
मुश्किल ज़रुर है
लड़खड़ाते क़दमों से
खड़ा होना मुश्किल ज़रूर है,
लेकिन नामुमकिन नहीं है,
इसीलिए देर कभी नहीं होती।
हर सुबह के पार उजाला छिपा है,
हर आहट पर किसी के
आने की दस्तक सुनाई देती है,
हर आँख किसी की राह तकती है।
हर बात किसी की बाट जोहती है,
हर उम्र में एक तज़ुर्बा नया है,
हर बीत गया कल आने वाला कल
बन कर सामने खड़ा है,
और हर भविष्य वर्तमान की
और नज़रें उठाकर उम्मीद
बांधे खड़ा हुआ है,
सबकी अपनी-अपनी
उतनी ही अहमियत है,
जितनी उन्होंने बनाई है।
शिद्दत और प्रार्थना में बड़ा बल होता है,
वक़्त हमेशा इसका साक्ष्य रहा है,
अगर आप किसी भी चीज़ को
पूरी शिद्दत से चाहते है,
तो सारी क़ायनात आपको
उससे मिलाने की साज़िश में जुट जाती है,
और कहा भी गया है
मंज़िल तो मिल ही जानी है,
भटकते-भटकते ही सही,
गुमराह तो वो लोग है,
जो घर से निकले ही नहीं।
