जब निहारोगे इस आईने को तुम
जब निहारोगे इस आईने को तुम
थक जाओगे जब तुम, हर रिश्तो की लड़ाईओ से।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
सफेद चांदी की परत जमने लगेगी बालोंमें, अपनों को
मनाते मनाते।।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
जब होगा शोर खत्म तुम्हारे अंदरका, आवाज भी थम
जाएगी तुम्हें बयां करते करते।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
खत्म हो जाएगा वक्त तुम्हारा, तुम्हें टटोलते टटोलते।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
कर दिए जाओगे कटघरे में खड़े तुम, तुम्हारे ही
भावनाओं के कत्लके इल्जामो में।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
थम जाएगी गुहारे तुम्हारी बेगुनाहोंकी, घोट दिया
जाएगा गला तुम्हारे अरमानोंका।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
चढ़ा दिया जाएगा बोझ कर्जोका, ठहरा दिये जाओगे
दोषी तुम।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
होगी तुम्हारी जंग शुरू दुनिया से नहीं, तुम्हारे अपनों से।
तब निहारना इस आईने को तुम।।
दिखूंगा मैं तुम्हें खड़ा, तुम्हारी सच्चाई के साथ।
जब निहारोगे इस आईने को तुम।।
दूंगा बयान तुम्हारी सच्चाई का, बना दूंगा प्रखर तुम्हें।
जब निहारोगे इस आईने को तुम।।
जंग के हर एक पथ पर, भर दूंगा आत्मविश्वास से तुम्हें।
जब निहारोगे इस आईने को तुम।।
जीत जाओगे हर जंग, हर एक मुस्कान के साथ।
जब निहारोगे इस आईने को तुम।।
