STORYMIRROR

VanyA V@idehi

Inspirational

4  

VanyA V@idehi

Inspirational

बदली हुई परम्पराएं

बदली हुई परम्पराएं

1 min
6


ज़ब बदला करती परम्पराएं साथ  

वक्त के ज्ञात रहे।

नही रहे हैं प्रासंगिक जो नियम कभी 

विख्यात रहे।।

भले पूर्वज अपने हैं पर मत अंधा 

विश्वास करो। 

जिन राहों की मंजिल न हो उनसे कब 

तक आस करो।।

जो खुदही भटके थे उनका अनुसरण 

क्यों करते हो।

सही राह जब सम्मुख है तो चलो भला 

क्यों डरते हो।।

बहरे ,गूंगे, अंधे हैं जो अक्ल नहीं है 

जिनके पास।

क्यों माने वो राहे हिदायत क्यों करलें 

उसपर विश्वास।।

जिनको नहीं सुधरना है वो कभी नहीं 

सुधरेंगे प्यारे।

मनमाने वो अर्थ निकलेंगे  अज्ञानी 

अपढ़ बिचारे।। 

उनसे कह दो एक पूज्य है उसके 

खातिर जीना है।

बहुत पिया है गरल अभी तक अब तो 

अमृत पीना है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational