सोनी गुप्ता

Inspirational

5.0  

सोनी गुप्ता

Inspirational

अंधेर नगरी चौपट राजा

अंधेर नगरी चौपट राजा

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बचपन में सुनी थी बात पुरानी, चाँद –सितारे, परी सुहानी,

एक था राजा,एक थी रानी, मेरी नानी रोज सुनाती एक कहानीI

नानी ने सुनाई एक कहानी, जिसमें था एक अलबेला चौपट राजा

कहानी थी, अँधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा I


भिक्षा लेने आए महंत गोबरधनदास और नारायण दास चेलों संग ,

अँधेर नगरी की सस्ती –सस्ती चीजें देख गोबरधनदास रह गया दंग I

गोबरधनदास ने अब सोच लिया यहाँ तो आएगा बहुत ही मजा,

महंत जी ने गोबरधनदास को अपने पास बुलाया और बहुत समझाया I


ऐसी नगरी में उचित नहीं रहना, यहाँ रहने की अब कभी न कहना,

न मानी उसने बातें महंत की, चेले को अपनी लगने लगी नगरी अँधेर की I

अँधेर नगरी का राजा था बड़ा अनाड़ी, जैसे बिना पहिये चलती गाड़ी,

फरियादी आया न्याय मांगने, दीवार गिर गई बकरी उसकी मर गई I


राजा का फरमान आया बनिया को बुलवाओ और इसे न्याय दिलवाओ,

बनिया ने गुहार लगाईं महाराज मेरा नहीं कसूर, कारीगर को बुलाओ,

कारीगर ने चूने वाले को और चूने वाले ने भिश्ती पर और भिश्ती वाले ने,

मसक वाले पर और मसक वाले ने कोतवाल पर इल्जाम लगाया I


राजा ने हुक्म सुनाया, कोतवाल के लिए फाँसी का फंदा बनवाया,

अब फंदा तो हो गया बड़ा, जिसमें कोतवाल जी नहीं समाया

अब लाओ उसे पकड़कर जो इस नगरी में खा –खाकर है मोटाया,

गोबरधनदास को पकड़ लाए, बेचारा सोच रहा क्यों मैंने मुफ्त का खाया I


गोबरधनदास रोता -धोता याद कर रहा अब अपने गुरु की बातें,

क्यों मैं फंस गया यहाँ अब तो मुझको फूल भी लग रहे हैं कांटे,

महंत ने एक चाल चली, खुसुर –फुसुर कुछ बातें चेले के कान में डली,

चाल चली महंत ने जो चढ़ेगा सूली पर वो जाएगा सीधा वैकुंठ

फांसी पर चढ़ने की होड़ा –होड़ी लग गई, महंत की दाल अब गल गई,

राजा ने दिया हुक्म हम हैं राजा हम जायेंगे सबसे पहले वैकुंठ I


चढ़ गया राजा फांसी पर, इसलिए कहा है अँधेर नगरी चौपट राजा,

टके सेर भाजी, टके सेर खाजा, अंत में फांसी चढ़ गया राजा,

जहाँ न धर्म न बुद्धि नाहि, नीति न सुजन-समाज,

ते ऐसहिं आपुहिं नसै, जैसे चौपट राज I


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