दुर्गापूजा
दुर्गापूजा
शारदीय ऋतु का आगमन,
आसमान में छाया स्वर्णिम नील।
माँ दुर्गा का है आशीर्वाद,
हर मन में बसी है एक नई अनुभूति, एक नई खेल।
झूमते हैं लोग, गाते हैं गीत,
मंडपों में बजी ढोलक, संगत में ताल।
रंग-बिरंगे कपड़े, रत्न जड़े आभूषण,
माँ की आरती, सजती हैं भक्ति की मल्हार।
सजती हैं कलाकृतियाँ, मिट्टी की देवी,
हर एक आँख में बसती है श्रद्धा की ज्योति।
राक्षसों का नाश कर, देती सबको मोक्ष,
सच्चाई और धर्म का होता है प्रकट प्रेम।
धूप-छाँव में बिखरी हैं खुशियाँ,
सुरक्षित हैं सब, माँ का आशीर्वाद जो।
हर दिल में बसती है उसकी छवि,
दुर्गापूजा में बहे प्रेम का सागर जो।
आओ मिलकर मनाएँ ये पर्व,
संस्कृति की महक से महके हर द्वार।
माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में आए सुख,
दुर्गापूजा का ये त्योहार, हो सबका प्यार।
