STORYMIRROR

Mahima Mishra

Inspirational

4  

Mahima Mishra

Inspirational

बेटियां

बेटियां

1 min
33

अपने नन्हे कदम लेकर 

जब घर में आती हैं

पायलो की छन-छन से

सबको जगाती हैं


बेटियां ही हैं जो घर को घर बनाती हैं।


मां के डांटने पर

सहम सी जाती हैं

आंसुओ को बहाकर

दुख को दिखातीं हैं


बेटियां ही हैं जो अपनापन जताती हैं।


छोटे-छोटे पलों को

खुशनुमा बनाती हैं

दुख हो या सुख हो

सब चुपचाप सह जाती हैं


बेटियां ही हैं जो दुखों को छुपाती हैं।


अपनी होकर भी

पराई कहलाती हैं

ना जाने कब

बड़ी हो जाती हैं


बेटियां ही हैं जो पापा की लाडली कहलाती हैं।


दो परिवारों को

एक कर जातीं हैं

एक अनजाने रिश्ते को

अपना बनाती हैं


बेटियां ही हैं जो बहू और बेटी का रिश्ता एक साथ निभाती हैं।


मां बनने का दर्द भी

हंस कर सह जाती हैं

एक नई नन्ही सी जान को

दुनिया दिखाती हैं


बेटियां ही हैं जो देश को आगे बढ़ाती हैं।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Mahima Mishra

Similar hindi poem from Inspirational