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Minal Aggarwal

Inspirational

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Minal Aggarwal

Inspirational

मैं एक औरत हूं

मैं एक औरत हूं

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मैं कौन हूं 

एक स्त्री 

एक औरत 

एक हाड़ मांस से बना 

सांस लेता 

जीता जागता 

अग्नि का पुंज  

मेरे भीतर बहुत शक्ति है

 

एक पवित्र जलती अग्नि का 

कुंड हूं मैं 

मैं एक शीतल धार भी हूं 

मैं एक बहती नदी तो 

उस नदी में बहती एक नाव की 

पतवार भी हूं 


मैं नदी का किनारा भी हूं 

मैं नदी में उतरते 

एक बादल के टुकड़े से 

बरसती जल की धारा भी हूं 

मेरे रूप असंख्य हैं 


तुम जैसा देखना चाहोगे 

तुम्हें वैसा ही देखने को 

मिल जायेगा 

मैं एक गहरा सागर हूं 

तुम इसकी गहराइयों में 

उतरकर 

जो कुछ तलाशना 

चाहोगे 


वह तुम्हें मिल जायेगा 

तुम मुझसे बहुत कुछ 

पा सकते हो 

बस मुझे आजमाना 

मत 

मेरे चरित्र पर 

शक मत करना 

मुझे अपमानित मत करना 


मैं कोई पूजा की सामग्री नहीं 

मैं नहीं चाहती कि 

मेरी कोई स्तुति करे 

मेरे नाम का स्मरण करे 

मेरी आराधना करे लेकिन 

हां यह अवश्य चाहती हूं कि 


मेरे कार्यों को 

मेरे अस्तित्व को 

मेरा अधिकारों को 

मेरी उपलब्धियों को 

मेरे रास्ते को 

मेरी मंजिल को 


मेरे सपनों को 

संक्षेप में 

मेरे जीवन से जुड़ी 

किसी भी गतिविधि को 

कोई धिक्कारने की 

हिम्मत न करे 

ऐसी कोशिश भूल से भी 

करी तो 


वह फिर मुंह की खायेगा 

मेरे हाथों मारा जायेगा 

मुझ देवी में से 

फिर एक दुर्गा का 

रूप अवतरित होगा 

जो वध कर 

देगा हर अधर्मी का 


नरसंहार कर देगा 

घोर पापों का नाश कर 

देगा 

सब मिलकर 

यह प्रार्थना करें कि 

कभी ऐसी विषम परिस्थिति 

का जन्म ही न हो 


हर औरत का 

सम्मान करें

उसका आदर करें 

उसे जीवन की 

मुख्य धारा में शामिल करें 


ऐसा करने पर 

वह इस सृष्टि का 

कल्याण ही करेगी 

नहीं हानि पहुंचायेगी 

वह इसके किसी एक कण को 

भी 


जो एक जननी है 

मां है 

सृष्टिकर्ता है 

वह भला कभी 

ऐसा घिनौना कृत्य 

करेगी !


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