एक बैंगनी रंग की तितली
एक बैंगनी रंग की तितली
एक बैंगनी रंग की तितली
आज एक जामुनी फूल पर
बैठ गई और
मंद मंद मुस्कुराने लगी
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि
जैसे खुद को इस बाग की
महारानी समझ रही है
एक पेड़ की डाल से
दूसरे पेड़ के डाल पर
कोई रस भरा गीत गुनगुनाती
उड़ रही है
अपनी ही दुनिया में मस्त है
अपने ही रंग में रंगी
खुद से ही खेल रही है
किसी की तरफ यह अपनी आंख
उठाकर एक पल को भी
नहीं देख रही
मैंने पूछा ऐसा क्यों
इसका भी कोई उत्तर नहीं
दे रही
इतनी खुश है खुद के रचे
संसार में कि
किसी को अपने घर में
प्रवेश करने की अनुमति भी
नहीं दे रही
किसी को नहीं बता रही कि
वह इतनी प्रसन्न कैसे रह लेती है
नहीं खोल रही अपना एक भी
राज
मैं भी इस इंतजार में हूं कि
देखूं शायद कभी
हटा दे अपने रहस्यों से पर्दा
अपने खुले हुए
हवा में लहराते
फूलों की देह को छूते
अपने पंखों की तरह ही।