ऐ सूर्य तुम सुबह सवेरे अपना रथ हांककर कहीं से आते हो
ऐ सूर्य तुम सुबह सवेरे अपना रथ हांककर कहीं से आते हो
ऐ सूर्य
तुम पीले हो
चमकीले हो
सुनहरे हो
एक सूरजमुखी के फूल से
एक चांदी के वर्क से
एक स्वर्ण आभूषण से
तुम कितने ऊर्जावान हो
तुम कितने शक्तिवान हो
तुम सबके पालनहार हो
तुम हर सुबह जो न उगो तो
हर तरफ अंधकार का बसेरा हो
किसी का जीवन फिर चल ही न पाये
किसी का जीना व्यर्थ हो जाये
इन सांसों का होना कुछ काम
न आये
तुम सुबह सवेरे अपना रथ
हांककर कहीं से आते हो फिर
दिन भर के लिए
आसमान में
विराजमान हो जाते हो
सांझ ढलने पर ही
अपने घर को लौटते हो
अगली सुबह फिर
अपनी जिम्मेदारियों का
बोझ हंसते हंसते वहन करने के
लिए समय से अपने
कार्य क्षेत्र में अपनी उपस्थिति
दर्ज करते हो।