रसोई करती माँ एक उचटती नज़र डाल ही लेती है आँगन में। रसोई करती माँ एक उचटती नज़र डाल ही लेती है आँगन में।
जिम्मेदारियों से विमुख होना नहीं सीखा कभी, अपने सपनों को जीऊँ कैसे बताओ सभी, जिम्मेदारियों से विमुख होना नहीं सीखा कभी, अपने सपनों को जीऊँ कैसे बताओ सभी,
अपने घरों में ही नहीं समाज और देश दुनिया में भी सम्मानित हूं अपने घरों में ही नहीं समाज और देश दुनिया में भी सम्मानित हूं
आज हताश निराश जा बैठा हूँ जिम्मेदारियों के सूखे वृक्ष तले आज हताश निराश जा बैठा हूँ जिम्मेदारियों के सूखे वृक्ष तले
तुम्हारा होना है तुम्हारी अपनी जिम्मेदारियां कुछ अपने लिये कुछ समाज के लिये तुम्हारा होना है तुम्हारी अपनी जिम्मेदारियां कुछ अपने लिये कुछ समाज के ...
जब उलझकर परेशान होते हैं, तब पिता बहुत याद आते हैं। जब उलझकर परेशान होते हैं, तब पिता बहुत याद आते हैं।