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Sarita Kumar

Inspirational

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Sarita Kumar

Inspirational

मोहब्बत

मोहब्बत

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मैं औरत हूं 

माथे पर बिंदिया सजी है 

भरा है मांग सुहाग सिंदूर से 

मां , मौसी , बुआ, मामी और नानी जैसे स्नेहिल संबोधनों से अलंकृत हूं।

ढेरों जिम्मेदारियों के झाड़ फानूस से लदी हूं 

ज़ेवरात सिर्फ सोने चांदीयों के ही नहीं होते 

चंद उपाधियां जो मिली है मुझे .....

वो जेवरातों से अधिक कीमती है 

अपने घरों में ही नहीं 

समाज और देश दुनिया में भी सम्मानित हूं 

पिता, पति और पुत्र के नाम के अलावा भी 

एक अपनी पहचान बनी है 

लेखनी मेरी ही थी 

जिसने आकाश में चिह्नित की है 

मैं औरत हूं 


अपने सातों रूप लिए सदैव प्रकट हूं

अपनी तमाम जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के बाद 

लेखनी उठाई हूं 

तब जाकर कहीं

उम्र भर का लेखा जोखा लिख पाई हूं 

हासिल है मुझे दोनों जहां 

अटी पड़ी है तिजोरी मेरी 

हीरे-जवाहरात से 

प्रशस्ति-पत्र से 

सगे-संबंधियों के खतों से 

बांटती रही उम्र भर जो खजाने से 

वो और भर गया है मोहब्बत से ...


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