आंसू
आंसू
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जब कभी मेरा मन भरा,
आंखों से छलक पड़ा ।
पहला ख़त जब पढ़ा,
चंद बूंद टपक पड़ा ।
आए जब तुम द्वार मेरे,
स्वागत अश्कों ने किया ।
तोहफा जब तुमने दिया,
बे सबब छलक पड़ा ।
छूआ जब इन आंसुओं को
मोतियों में तबदील हुआ ।
जब कभी मेरा मन भरा,
आंखों से छलक पड़ा ।