एक विशालकाय प्रचीन दरवाज़ा, जिसमे पल्ले नहीं है वह अडिग खड़ा है, कहते है ये दूसरी दुनिया का द्वार है, ... एक विशालकाय प्रचीन दरवाज़ा, जिसमे पल्ले नहीं है वह अडिग खड़ा है, कहते है ये दूसरी ...
कल्याण हो तुम्हारा स्वस्थ जीवन स्वस्थ मन हो तुम्हारा कल्याण हो तुम्हारा स्वस्थ जीवन स्वस्थ मन हो तुम्हारा
राम मिले तो भी रावण छेड़े तो भी आखिर कब तक ? राम मिले तो भी रावण छेड़े तो भी आखिर कब तक ?
आज उन्हीं यादों से थककर दूर निकलना चाह रहा हूँ। तुम्हें भुलाना चाह रहा हूँ। आज उन्हीं यादों से थककर दूर निकलना चाह रहा हूँ। तुम्हें भुलाना चाह रहा हूँ।
जगी है जो मन में आस उसकी है तू आखिरी श्वास। जगी है जो मन में आस उसकी है तू आखिरी श्वास।
लेकिन अब कोई आवाज़ नहीं होती, दस्तक मेरे द्वार पर अब नहीं होती। लेकिन अब कोई आवाज़ नहीं होती, दस्तक मेरे द्वार पर अब नहीं होती।