मेरा सपना
मेरा सपना
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दिव्य -मन
लिए,
हाथों में
सुख-समृद्धि
लिए,
खड़ा एक योगी
आ गया है
हमारे द्वार पर !
उठ रहे हैं
आशीष के हाथ
और कह रहे हैं
कल्याण हो तुम्हारा
स्वस्थ जीवन
स्वस्थ मन हो तुम्हारा
खूब फलें
जहां में हो यश तुम्हारा !
पूछने पर उसने कहा
" मैं नव वर्ष हूँ"-
