तेरा मेरा प्यार
तेरा मेरा प्यार
तेरा मेरा प्यार
ग़ज़ल का मुक़म्मल अशआर
ज़िन्दगी अपनी एक अधूरी क़िताब
एक ज़िद्दी हौसला चंद पलते ख़्वाब
तेरी मेरी दूरी
जैसे लफ़्ज़ों के बीच फ़ासला ज़रूरी
रोज नए नए सफ़हे जुड़ जाते
कितने पन्ने निशानी बन मुड़ जाते
कुछ छिपे राज़
कुछ दबी दबी आवाज़
नए मोड़ और नए हैं किस्से
जाने कितने लिखेंगे इसके हिस्से
तेरी मेरी जुदाई
तन्हाई में रची रुबाई
तेरा मेरा प्यार
ग़ज़ल का मुक़म्मल अशआर।