प्यार, विश्वासघात और बदला
प्यार, विश्वासघात और बदला
जब प्यार में विश्वासघात होता है
तब ये दिल खून के आंसू रोता है
वफा शब्द से नफरत हो जाती है
ये दुनिया बेगानी सी नजर आती है
तब बदला लेने की इच्छा पैदा होती है
कुछ कर गुजरने की तमन्ना जन्म लेती है
मगर ऐसा करने वाला सच्चा आशिक नहीं
प्यार तो देने का नाम है लेने का नहीं
क्या पता उसकी कोई मजबूरी रही हो
परिवार को बचाने हेतु यह दूरी सही हो
विश्वासघात मिलने पर भी जो प्यार करे
ऐसे ही प्रेमियों पर दुनिया जां निसार करे।