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Ragini Mathur

Abstract

4.9  

Ragini Mathur

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दर्द

दर्द

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220


दूसरों का दर्द समझने से पहले

अपनों का दर्द तो समझलो,

दूसरों के ऑंसू बटोरने से पहले

अपनों के ऑंसू तो पौंछ लो।

दूसरे में बुराई ढूँढने से पहले

अपने अंदर झॉक कर तो देखलो

ना मानने से सच्चाई बदल नहीं जाएगी

जो तोड़ोगे दिल किसीका

तो ख़ुशी तुमको भी ना मिल पाएगी

किसी मासूम की मासूमियत से

कभी ना खेलना

भगवान यहीं दिखाएगा

उसका न्याय पड़ेगा तुमको झेलना ।

जो बोया है वही पाओगे,

दूसरे के लिए खाई

अपने लिए जन्नत कैसे

बनाओगे ।

चार दिन की ज़िन्दगी है

ना दिल दुखाओ किसी का

जीवन जीनेका यही तो है सलीक़ा

कयों रुलाते हो, क्या ख़ुशी पाओगे,

ना कुछ लेकर आए हो,

ना लेकर जाओगे ।

ज़िन्दगी का हर दर्द

किसी की मेहरबानी है

हमारी ज़िन्दगी तो एक अनसुनी कहानी है ।

जो बीत गया उसे भुला सकते नहीं,

जो सामने है वो भी तेरी ही मेहरबानी है ।

दर्द का इलाज हो तो दवा किजिए,

लाइलाज हो तो मुस्कुरा दिजीए ।


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