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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Comedy Fantasy

जादू की दुनिया

जादू की दुनिया

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🪄✨ जादू की दुनिया ✨🪄
 🥰 एक उच्च कोटि की अलंकृत काव्य 🥰 
✍️ श्री हरि 
🗓️ 25.12.2025 


यह जादू की दुनिया है, जहाँ धड़कनें मोती-सी गिरती हैं,
जहाँ पलकें बंद होते ही, दिशाएँ सपनों से मिलती हैं।
यहाँ चाँद दरीचा खोलकर, तारों की चूड़ियाँ पहनाता,
फुसफुसा कर रात के आँचल में, चाँदी-सा उजाला बिखराता।

यह जादू की दुनिया है, जहाँ शब्द परिंदों-से उड़ते हैं,
जहाँ मौन सुरों की थाप लिए, भीतों पर गीत गढ़ते हैं।
यहाँ एक झिलमिल साँस भी, कोहराए मन को नीला कर दे,
और पाँव के नीचे घास अचानक, मोती का कालीन बिछा दे।

यह जादू की दुनिया है, जहाँ यादों का आकाश उमंगों-सा,
कभी धूप बनकर गुनगुने, कभी चन्द्रिका-सा स्नेहिल-सा।
यहाँ आँसू चकमक दर्पण हैं, हँसी किसी पाखी की चितवन,
और प्रेम किसी अनदेखी लय-सा, साथ न छोड़े तृण-सा जीवन।

यह जादू की दुनिया है, जहाँ कल्पनाएँ कंगन बनकर,
कलाई पर खनखन संगीत रचें, मंचन हो मन के अंतर में।
जहाँ एक अधूरी प्रार्थना भी, पूर्ण कथा का शृंगार बने,
और साँसों के रेशमी धागे, नियति का असली आधार बने।

यह जादू की दुनिया है, जहाँ समय ठहरा-सा बहता है,
किसी अधखिले गुलाब में जैसे, सुगंध अनंत समूहक रहता है। जहाँ एक अनाम उजाला भी, रात के कपोलों को चूम ले,
और थके हुए मन की नावों को, स्वप्नों के सागर में झूल दे।

हे जीवन!
तेरे हर मोड़ पर जादू है, हर घाव में सीख का मौसम सुहाना,
हर निशब्द वेदना में स्वर, हर संघर्ष में गीत पुराना।
तू अद्भुत है, तू अनुपम है,
तेरे भीतर ही वह रहस्य छिपा—
जादू की दुनिया यहीं है, और कहां 
बस मन खोलो... और चल पड़ो वहाँ। ✨🪄 


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